प्रभु में जब कोई नए होते है, तब उन्हें यह सवाल हरदम रहता है - में प्रार्थना कैसे करू ?
इसलिए हमें कुछ प्राथमिक बातो को जानना ज़रूरी है, वह यह है:
हम किस्से प्रार्थना करते है?
मत्ती ६:९ में हम देकते है जब येशु प्रार्थना करना सिखाता है तो वह कहता है - "हे हमारे पिता, जो स्वर्ग में है" उस से हम क्या सीखते है?
अ. हमें हमारे स्वर्गीय पिता परमेश्वर से प्रार्थना करना है
ब. "हमारे पिता" बुलाने लायक प्रभु से एक संबंध (रिश्ता) होना ज़रूरी है. यूहन्ना १:१२ में हम पढते है - जो येशु को अपने जीवन में ग्रहण करते है उन्हें उसके संतान बनने के सौभाग्य मिलता है और वह हमारे पिता है!! सो जो उसके संतान बन जाते है - वे हक़ से - मेरे पिता या मेरे अब्बा करके उसे पुकारते हुवा प्रार्थना कर सकते है |
यूहन्ना ११:४१ में भी येशु - परम पिता करते हुवे प्रार्थना करता है
इसके अलावा - प्रभु को हमारा अनुभाव के अनुसार हम सम्बोदित कर सकते है, जैसे -
हे सवशक्तिमान परमेश्वर,
हे हमारे उद्धार करता परमेश्वर,
हे सारे सृस्टि के मालिक परमेश्वर |
इसके अलावा हम जिस परिस्तिथि में है उसके अनुसार भी उसे सम्बोथित कर सकते है, जैसे
कोई बीमार के लिए प्रार्थना करते समय - सारे बिमारियों पर अधिकार पाया हुवा हमारा सर्व शक्तिमान और जीवित प्रभु परमेश्वर...
भोजन के समय पर - सारे जीवा जन्तुओ को समय पर खिलालेवाले हमारे स्वर्गीय पिता परमेश्वर...
किसी घर पर मृत्यु हुई है और हमें प्रार्थना करने कहा गया है, तो हम शुरू कर सकते है - सारे शांति और समाधान के मालिक और हमसे बहुतायत से प्रेम करने वाले हमारे सर्वशक्तिमान परमेश्वर...
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