मत्ती 13:29-30 “वह बोला, ‘नहीं, क्योंकि जब तुम खरपतवार उखाड़ोगे तो उनके साथ, तुम गेहूँ भी उखाड़ दोगे। जब तक फसल पके दोनों को साथ-साथ बढने दो, फिर कटाई के समय में फसल काटने वालों से कहूँगा कि पहले खरपतवार की पुलियाँ बना कर उन्हें जला दो, और फिर गेहूँ को बटोर कर मेरे खते में रख दो।’” कई बार परमेश्वर हमारे बाधाओं को अनुमति देता है ताकि हमारा विश्वास उखाड़ न जाए। भजन संहिता इस प्रकार गाता है - "मेरे लिये संकट अच्छ बन गया था। मैंने तेरी शिक्षाओं को सीख लिया। (भजन संहिता ११९:७१)" कितने बार हम हमारे जीवन में प्रभु को हमारे संकटों और दुखों के बदले में धन्यवाद् कहते है? हम अपने जीवन के मुसीबत और तकलीफों के लिए प्रभु का शुक्रिया अदा करना सीखें जिसके बगैर हम हमारे पिता परमेश्वर और उसके प्रेम को सही तरह से समज और सीख नहीं पाते। हमे पूरी तरह से विश्वास करना है की एक फसल का मौसम बहुत जल्द आ जाएगा, जहां जंगली पौधे या खरपतवार पहले तो इकट्ठा किया जाएगा (जिस वजह से हमें शायद और निराशा होगी) लेकिन उन्हें हमेशा के लिए जला दिया जाएगा और हमारे जीवनों को उसके निज हिस्सा माना जाएगा !! ...